स्टॉक मार्केट क्यों गिरता है? भारतीय बाजार में गिरावट के 7 प्रमुख कारण और उदाहरण

भारतीय स्टॉक मार्केट (Stock Market) में गिरावट निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी-कभी शेयर बाजार अचानक इतनी तेजी से क्यों गिरता है? चाहे सेंसेक्स 10,000 पॉइंट लुढ़क जाए या निफ़्टी में भारी बिकवाली हो, इनके पीछे आर्थिक, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं। आइए समझते हैं स्टॉक मार्केट को गिराने वाले 7 मुख्य कारण और भारतीय उदाहरणों के साथ जानें कि बाजार क्यों डगमगाता है।


1. आर्थिक मंदी (Economic Slowdown)

जब देश की GDP ग्रोथ कम होती है या बेरोजगारी बढ़ती है, तो कंपनियों की बिक्री और मुनाफा प्रभावित होता है। इससे निवेशकों का भरोसा टूटता है और बाजार गिरता है।
उदाहरण: 2020 में COVID-19 लॉकडाउन के दौरान भारत की GDP -23.9% रही, जिसके चलते सेंसेक्स 26,000 के निचले स्तर पर आ गया।


2. कंपनियों का खराब प्रदर्शन (Poor Company Earnings)

कंपनियों के नुकसान या मुनाफे में गिरावट से निवेशक उनके शेयर बेचने लगते हैं।
उदाहरण: 2022 में Paytm (One97 Communications) के शेयर IPO की कीमत ₹2,150 से गिरकर ₹500 के स्तर पर पहुंच गए, क्योंकि कंपनी लगातार नुकसान में चल रही थी।


3. ब्याज दरों में वृद्धि (High Interest Rates)

RBI द्वारा रेपो रेट बढ़ाने पर लोन महंगा हो जाता है। इससे कंपनियों का विस्तार रुकता है और बाजार में बिकवाली बढ़ती है।
उदाहरण: 2022 में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए RBI ने रेपो रेट 4% से बढ़ाकर 6.5% किया, जिससे निफ़्टी 10% तक गिर गया।


4. विदेशी निवेशकों की बिकवाली (FII Sell-Off)

FII (विदेशी संस्थागत निवेशक) जब भारतीय बाजार से पैसा निकालते हैं, तो शेयरों की कीमतें गिर जाती हैं।
उदाहरण: 2022 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने पर FII ने भारत से ₹2.4 लाख करोड़ निकाले, जिससे बाजार में भारी गिरावट देखी गई।


5. नकारात्मक सरकारी नीतियां (Unfavorable Policies)

टैक्स बढ़ाने या कठोर रेगुलेशन जैसी नीतियां निवेशकों को डराती हैं।
उदाहरण: 2019 में सरकार ने ‘सुपर-रिच टैक्स’ लागू किया, जिससे सेंसेक्स एक दिन में 1,500 पॉइंट गिर गया।


6. वैश्विक अनिश्चितता (Global Uncertainty)

अंतरराष्ट्रीय संकट जैसे युद्ध, तेल की कीमतों में उछाल या महामारी का सीधा असर बाजार पर पड़ता है।
उदाहरण: 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने पर निफ़्टी 15% गिरा, क्योंकि कच्चे तेल की कीमत ₹130/लीटर तक पहुंच गई थी।


7. निवेशकों का डर (Panic Selling)

बाजार कई बार अफवाहों या नकारात्मक खबरों से लुढ़कता है। निवेशक भीड़ के पीछे चलकर शेयर बेचने लगते हैं।
उदाहरण: 2020 में कोरोना के डर से सेंसेक्स 3 दिनों में 8,000 पॉइंट गिरा, हालांकि अर्थव्यवस्था में कोई बुनियादी कमजोरी नहीं थी।


निष्कर्ष: गिरावट भी बाजार का हिस्सा है!

स्टॉक मार्केट में गिरावट अक्सर अस्थायी होती है, लेकिन निवेशकों को घबराने की बजाय कारणों को समझना चाहिए। भारत जैसे बाजार में ग्लोबल फैक्टर्स, राजनीतिक फैसले और कॉर्पोरेट प्रदर्शन की भूमिका अहम होती है। लंबी अवधि के निवेश के लिए गिरावट को “खरीदारी का मौका” भी माना जाता है, बशर्ते रिसर्च और धैर्य के साथ कदम बढ़ाएं।

याद रखें, बाजार के उतार-चढ़ाव प्राकृतिक हैं। निवेश से पहले अपनी जोखिम सहनशीलता (Risk Appetite) और वित्तीय लक्ष्यों को जरूर समझें। एक्सपर्ट गाइडेंस और डायवर्सिफिकेशन से आप मार्केट के झटकों को बेहतर झेल सकते हैं!

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