अक्षय तृतीया, जिसे “अखंड समृद्धि का त्योहार” भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 30 अप्रैल, बुधवार को पड़ रहा है। इस दिन को “अक्षय” (अनंत) का प्रतीक माना जाता है, जहाँ किए गए शुभ कार्यों, दान, और निवेश का फल कभी कम नहीं होता। इस लेख में जानिए अक्षय तृतीया 2025 का शुभ मुहूर्त, पौराणिक कथाएँ, और इससे जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी!
अक्षय तृतीया 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: 30 अप्रैल 2025 (वैशाख शुक्ल तृतीया)
- सूर्योदय: सुबह 6:02 बजे (लगभग)
- तृतीया तिथि प्रारंभ: 29 अप्रैल रात 9:54 बजे से
- तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल रात 11:05 बजे तक
- शुभ काल: सुबह 5:30 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक
क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया? पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व
अक्षय तृतीया का त्योहार हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन समुदाय में भी मनाया जाता है। इस दिन के पीछे कई पौराणिक कथाएँ और मान्यताएँ जुड़ी हैं, जो इसे “अनंत समृद्धि” का प्रतीक बनाती हैं:
1. भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता
सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान कृष्ण और उनके बचपन के मित्र सुदामा की है। गरीबी से जूझ रहे सुदामा ने कृष्ण को मुट्ठी भर चावल (पोहा) भेंट किया। कृष्ण ने उनकी सादगी और भक्ति से प्रसन्न होकर सुदामा को अथाह धन दिया। मान्यता है कि यह घटना अक्षय तृतीया के दिन ही घटी, जो दर्शाती है कि छोटे से दान का भी अक्षय फल मिलता है।
2. अक्षय पात्र का वरदान
महाभारत काल में, पांडवों को वनवास के दौरान भगवान सूर्य ने अक्षय पात्र दिया था, जो कभी खाली नहीं होता था। यह पात्र उन्हें अक्षय तृतीया के दिन ही प्राप्त हुआ था, जिससे इस दिन को “अन्न की अक्षयता” का प्रतीक माना जाता है।
3. गंगा अवतरण
इसी दिन, राजा भगीरथ की कठोर तपस्या के बाद माँ गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुईं, जिससे पृथ्वी को पवित्र नदी का वरदान मिला।
4. परशुराम जयंती
भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म भी अक्षय तृतीया को ही माना जाता है। उन्हें “कर्मयोगी” और “धर्मरक्षक” के रूप में पूजा जाता है।
5. जैन धर्म में महत्व
जैन समुदाय में इस दिन भगवान ऋषभदेव ने तपस्या के बाद अपना पहला आहार (इक्षु रस) ग्रहण किया था, जिसे “अक्षय तृतीया व्रत” के रूप में मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया 2025: कैसे करें शुभ कार्यों की शुरुआत?
यह दिन नए व्यवसाय, विवाह, घर खरीदने, या गोद भराई जैसे शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। जानिए किन चीज़ों को इस दिन अवश्य करें:
1. सोना और चांदी खरीदें
मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी, या बर्तन खरीदने से घर में लक्ष्मी का वास होता है। 2025 में डिजिटल गोल्ड और SIP में निवेश भी लोकप्रिय हो रहा है।
2. दान-पुण्य का विशेष महत्व
- अन्न दान: गेहूं, चावल, या दाल गरीबों में बाँटें।
- जल दान: घड़े या मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर दान करें।
- वस्त्र दान: नए कपड़े या चादरें वंचितों को दें।
3. पूजा-विधि
- सुबह स्नान करके भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी की पूजा करें।
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएँ और दीपक जलाएँ।
4. अक्षय व्रत
कई लोग इस दिन व्रत रखते हैं और सूर्यास्त के बाद फलाहार करते हैं। व्रत कथा सुनने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
2025 में अक्षय तृतीया का आधुनिक संदर्भ
- डिजिटल गोल्ड: आजकल लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स (Paytm, PhonePe) से गोल्ड ETF या सोने के सिक्के खरीद रहे हैं।
- सस्टेनेबल सेलिब्रेशन: प्लास्टिक मुक्त पूजा सामग्री और ऑर्गेनिक खाद्य दान को प्रोत्साहन।
- समाज सेवा: NGO के साथ जुड़कर शिक्षा या स्वास्थ्य कैंप लगाना।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण: 2025 की विशेषताएँ
2025 में अक्षय तृतीया के दिन वृषभ राशि में सूर्य और मीन राशि में चंद्रमा का संयोग होगा। ज्योतिष के अनुसार, यह संयोग धन, सुख, और स्थिरता का प्रतीक है। इस वर्ष बृहस्पति (गुरु) का मकर राशि में प्रवेश शुभ परिणाम देगा, जो निवेश और व्यापार में लाभदायक हो सकता है।
अक्षय तृतीया से जुड़े रोचक तथ्य
- कुबेर की पूजा: कुछ क्षेत्रों में धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है।
- हरियाणा में हल-पूजन: किसान इस दिन हल और बैलों की पूजा करके खेत जोतने की शुरुआत करते हैं।
- दक्षिण भारत में विशेषता: केरल और तमिलनाडु में इसे “आखा तीज” कहा जाता है और नारियल, केले के पत्ते से पूजा की जाती है।
निष्कर्ष: अक्षय तृतीया न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि सामाजिक सद्भाव और आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है। 2025 में इस दिन सोना खरीदने, दान करने, या नए प्रयास शुरू करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। याद रखें, “अक्षय” का अर्थ है वह संपदा जो कभी नष्ट नहीं होती—चाहे वह भक्ति हो, सेवा हो, या नैतिक मूल्य!
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